Sunday, September 30, 2012

तेरे जाते ही

तेरे जाते ही जैसे छीन गयी इस चेहरे की सारी ख़ुशी
याद करके उन बीते पालो को
रो लेती हूँ कभी या जी लेती हूँ कभी
सोचती हूँ की क्या करूँ ऐसा
की मिल जाये तू वापिस पहले जैसा
फिर लगता है मुमकिन नहीं शायद अब ये
हो चुका है जो होना था
जा चुका है तू वहां जहाँ ना जाना मुझे आना था
राहें अलग हुई तो क्या
दिल तो सदा एक हैं
तब भी थे और अभी भी हैं
                   - अंकिता



2 comments:

  1. rulaogi kya....
    aise situation me khud ko rakh k sochte huye bhi darr lag rha hai...
    :( :( :(
    rona aa gya...

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  2. If one comes, then he has to go also!
    Life and time do not wait for anyone, and even if you want to , they will not let you!

    I would suggest, move on in life! Thats the only imp thing.

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Thanks for your time and comments.