जब से गई हो तुम
कुछ बदला तो नहीं
लेकिन सब बदल सा गया है
Coffee में जितनी भी शक्कर डाल दूँ
अलसाहट दूर नहीं होती
चाय वाला रोज़ तुम्हे देख कर खुश हो जाता था
पता नहीं क्यों अब नहीं मुस्कुराता
वो 5 flavour वाला पानी पूड़ी वाला
उसके सारे flavour फीके से हो गए हैं
वो रात को टहलना
तुम्हारे बिना सज़ा सा लगता है
Lake जिसे देख कर तुम्हे शान्ति मिलती है
वो पता नहीं क्यों सूखने सी लगी है
पिल्ले जिन्हें तुम मुझसे रोज़ लड़ के parle g खिलाती हो
अब parle g से उभ गए हैं
वो पीपल जिसे तुम पानी डालने जाती हो
सूखता जा रहा है
वो वक़्त जब तुम रोज़ मिलने आती थी मुझसे
बेमाना सा हो गया है
घडी में बस टाइम बदल रहा है
जीवन में समय नहीं बदल रहा
आ जाओ की किसी को हंसी मिल जाये किसी को स्वाद
किसी को सुख मिल जाये तो किसी को चैन
आ जाओ की मुझे तुम मिल जाओ
और मैं, मैं जैसा हो जाऊं ।
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