
ज़िदगी में बहुत से लोग मिलेंगे
कुछ संग कुछ छोड़ चलेंगे
सपने सजेंगे और उम्मीदें टूटेंगी
पर क्या ये ज़िन्दगी इसी क सहारे थम जाएगी?
ज़िन्दगी तो एक मस्त परिंदा है
हकीक़त सुहानी या सपने बेगाने
ये फैसला तो बस हम ही को निभाना है
और इसी ज़िन्दगी के संग पंख फेलाए उड़ते चले जाना है
--- अंकिता
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